बागेश्वर जिला
सुप्रसिद्ध बागनाथ मंदिर और सरयू-गोमती नदियों के संगम पर बसा बागेश्वर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित है। हिमालय कि तलहटी में मनोरम घाटियों और पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित यह जिला बेहद ही खूबसूरत है। यहाँ के खूबसूरत हरे भरे पहाड़ी जंगल, स्वच्छ निर्मल नदिया और झरने, हरे भरे लहलहाते खेत और घाटियों की सुंदरता सभी का मन मोह लेते है।
बागेश्वर जिले को कुली-बेगार प्रथा के अंत के लिए जाना जाता है। यहां पर आंदोलनकारियों ने कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर इस कुप्रथा का अंत किया था। आजादी के बाद बागेश्वर जिला तत्कालीन अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था। सन 1974 में बागेश्वर को एक अलग तहसील का दर्जा दिया गया।
ज़िले का सृजन
15 सितंबर 1997 को स्थानीय लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए बागेशवर ज़िला बना दिया गया। जिले का मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित है। नगर मे ही कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय और संस्थान भी स्थित हैं। बागेश्वर जिले की सीमाएं उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़, पश्चिम में चमोली तथा दक्षिण में अल्मोड़ा से लगी हैं।
कैसे पड़ा बागेश्वर नाम?
बागेश्वर यहां पर स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर बागेश्वर नाथ (बाघनाथ) मंदिर के लिए सुप्रसिद्ध है। मकर संक्रांति के दिन यहां पर उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला उत्तरायणी मेला लगता है जो कि महीने भर तक चलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मुनि वशिष्ठ आपने कठोर तपोबल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली सरयू को धरती पर ला रहे थे। जैसे ही सरयू कत्यूर घाटी में गोमती के संगम के समीप पहुंची, वहां पर ब्रह्मकपाली के समीप मार्कण्डेय मुनि तपस्या कर रहे थे। मुनि की तपस्या भंग ना हो इसीलिए इस स्थान पर सरयू रुक गई।
देखते ही देखते य़हां पर जलभराव होने लगा। मुनि वशिष्ठ चिंतित हो उठे उन्होंने तुरंत शिवजी की आराधना की। तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ब्याघ्र और मां पार्वती गाय का रूप धारण कर इस स्थान पर अवतरित हुये। व्याघ्र रूपी शिव गाय पर झपटने का प्रयास करने लगे। तभी गाय के रंभाने की आवाज से मार्कण्डेय मुनि को सुनाई दी।
मार्कण्डेय मुनि ने गाय के रंभाने की आवाज सुकर तुरंत आंखें खोल दी और वो गाय को बचाने दौड़ पड़े। जैसे ही मार्कण्डेय मुनि गाय को बचाने दौड़े तो भगवान शिव और पार्वती ने उन्हैं अपने साक्षात दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया। भगवान शिव के व्याघ्र रूप लेने के कारण इस स्थान को व्याघ्रेश्वर के नाम से जाना जाने लगा, जो कि कालांतर में बागेश्वर हो गया।
प्रमुख पर्यटन स्थल:
बागेश्वर ज़िले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं: बाघनाथ मंदिर, सूर्यकुंड तथा अग्निकुंड, चंडिका मंदिर, श्री हरुमंदिर, बैजनाथ और गौरी उडियार। पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनद भी बागेश्वर जिले मे स्थित हैं जो कि पिण्डर तथा सरयू नदियों के उद्गम स्थल भी हैं।
जनसांख्यिकी एवं अन्य जानकारी
जिला : बागेश्वर | क्षेत्रफल : 2,241 |
मुख्यालय : बागेश्वर | जनसंख्या : 259,898 |
तहसील : 06 | पुरुष : 124,326 |
विकास खंड: 03 | महिला : 135,572 |
पुलिस स्टेशन : 05 | जनसंख्या घनत्व : 116 |
विधानसभा क्षेत्र: 02 | वेबसाइट : https://bageshwar.nic.in/ |