चम्पावत
प्रकृति की खूबसूरत वादियों में बसा चंपावत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का जिला है। यह जिला खूबसूरत तो है ही साथ ही ऐतिहासिक एवं पौराणिक समृद्धि से परिपूर्ण है। यहां आने पर प्रकृति के खूबसूरत नज़ारों के साथ साथ कई ऐतिहासिक और पौराणिक रहस्य भी देखने को मिलते हैं। चारों तरफ हरे भरे पहाड़ी जंगल, नदियों और झरनों के दृश्य मन को रोमांचित कर देते हैं ।
भगवान विष्णु का कूर्मावतार
यह जिला पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कंद पुराण में चंपावत को कुर्मांचल के नाम से वर्णित किया गया है। माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु ने अपना कूर्मावतार (कछुए का अवतार) धारण किया था। इसीलिए इस स्थान का नाम कुर्मांचल पड़ा। कालांतर में कुर्मांचल ‘कुमाऊं’ के नाम से जाना जाने लगा।
जिले का सृजन
चंपावत पहले अल्मोड़ा जिला का हिस्सा था। बाद में अल्मोड़ा जिले से पिथौरागढ़ जिले का सृजन किया गया। चंपावत जिला भी तत्कालीन पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बना। 15 सितम्बर 1997 में लोगों की मांग को देखते हुए चंपावत को एक अलग जिला घोषित किया गया। चंपावत नगर को इसका मुख्यालय बनाया गया।
जिले की सीमाएं पूर्व में अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल से लगती है। उत्तर में पिथौरागढ़, दक्षिण में उधमसिंह नगर, पश्चिम में नैनीताल और उत्तर पूर्व में अल्मोड़ा जिले से इसकी सीमाएं लगती हैं।
प्रमुख आकर्षण:
चम्पावत में अनेकों धार्मिक ऐतिहासिक, प्राकृतिक पर्यटन स्थान हैं। बालेश्वर मंदिर, देवीधुरा, पंचेश्वर, पूर्णागिरि, मीठा रीठा साहब, क्रांतेश्वर मंदिर और ऐबॉट-माउंट यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है। चंपावत जिले के देवीधुरा में प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन पर आयोजित होने वाला मेला बग्वाल मेला भी यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
चंपावत जिले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा ‘नैनी सैनी’ पिथौरागढ़ में है। नैनी सैनी पर विमानों की आवाजाही का सीमित होने के कारण हवाई सेवाओं के लिए पंतनगर हवाई अड्डा उत्तम विकल्प है। टनकपुर रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है।