शासन प्रणाली
- उत्तराखंड राज्य की राज्यव्यस्था संसदात्मक प्रणाली पर आधारित है
- उत्तराखंड का शासन-प्रशासन देश के अन्य राज्यों की तरह ही संविधान के अध्याय-6 के अनुसार संचालित होता है
- राज्य में शासन के तीन प्रमुख अंग हैं: कार्यपालिका (राज्यपाल, मंत्री परिषद, सचिवालय, विभाग तथा महाधिवक्ता), विधानमंडल (राज्यपाल एवं विधानसभा), उच्च तथा अधीनस्थ न्यायालय
- संविधान के अनुच्छेद 53 (Article-53) के अनुसार राज्यपाल या गवर्नर राज्याध्यक्ष (Head of State) होता है
- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति (President) द्वारा 5 वर्ष के लिए की जाती है।
- राज्यपाल या गवर्नर, राज्य का प्रथम नागरिक और राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलपति (Chancellor of Universities) होता है
- उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला बने
- सुरजीत सिंह बरनाला 9 नवंबर 2000 से 7 जनवरी 2003 तक उत्तराखंड के राज्यपाल रहे
विधानसभा एवं विधानपरिषद
- राज्य गठन से पूर्व राज्य में विधानसभा की कुल 22 तथा विधानपरिषद (Legislative Assembly) की 9 सीटों थी
- राज्य के गठनोपरान्त 5 नवंबर 2001 को सत्र परिसीमन के बाद विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 70 हो गई
- राज्य की विधानसभा में कुल 70 सीटों में से 15 सीटें (13 SC + 2 ST )आरक्षित हैं
- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें चकराता (देहरादून) एवं नानकमत्ता (उधमसिंह नगर) में है।
- उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 (Uttar Pradesh Reorganisation Bill, 2000) में उत्तराखंड में अंतरिम विधानसभा हेतु 31 विधायकों की व्यवस्था की गई थी
- 22 सदस्य 1996 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे, जबकि 9 उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य थे
- 9 नवंबर, 2000 को नवनिर्मित उतराखंड राज्य में अंतरिम सरकार का गठन हुआ
- राज्य के प्रथम राजपाल, सुरजीत सिंह बरनाला ने नित्यानंद स्वामी को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई
- अंतरिम मंत्रीपरिषद में मुख्यमंत्री सहित 9 मंत्री तथा 4 राज्यमंत्री थे
- अंतरिम विधानसभा के कुल 31 विधायकों में से 23 भाजपा के, 3 सपा के, 2 कांग्रेस तथा 2 बसपा के थे
- नित्यानंद स्वामी के त्यागपत्र के बाद 29 अक्टूबर, 2001 को भगत सिंह कोश्यारी अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्यमंत्री बने
- भगत सिंह कोश्यारी 29 अक्टूबर, 2001 से 2 मार्च, 2002 तक मुख्यमंत्री रहे
- अंतरिम विधानसभा का प्रथम सत्र 9 जनवरी 2001 से शुरू हुआ
- प्रकाश पंत अंतरिम विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए थे
- राज्य में लोकसभा की 5 तथा राज्यसभा की 3 सीटें हैं। लोकसभा क्षेत्र अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल व हरिद्वार है।
- अल्मोड़ा की सीट अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के लिए सुरक्षित हैं।
- 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड राज्य के गठन के पश्चात आज तक कोई भी मुख्यमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पाया है
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