परिचय
हिमालय की गोद में बसा भारत का एक उत्तरी राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है। ‘उत्तराखंड’ संस्कृत के शब्दों ‘उत्तर’ और ‘खण्ड’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है उत्तर की भूमि (उत्तराखंड)। उत्तराखंड की भूमि देवताओं, ऋषि-मुनियों की भूमि रही है। अतः उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है।
देवभूमि उत्तराखंड का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद में इसे में ‘देवभूमि’ या मनीषियों की ‘भूमि’ कहा गया । उत्तराखंड का विस्तार से उल्लेख स्कंदपुराण में मिलता है। स्कंदपुराण में वर्तमान के कुमाऊं और गढ़वाल को मानसखंड और केदारखंड के नाम से दर्शाया गया है। स्कंदपुराण में माया क्षेत्र (हरिद्वार) से हिमालय तक के क्षेत्र को ‘केदारखण्ड’ कहा गया है। नन्दादेवी से कालागिरी पहाड़ी (चम्पावत) तक के क्षेत्र को ‘मानसखण्ड’ कहा गया।
उत्तराखंड का इतिहास
उत्तराखंड के इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा गया है …
प्रागैतिहासिक काल
- प्रागैतिहासिक काल: प्रागैतिहासिक काल का समयकाल 3000 ई. पूर्व है।
- इस समयकाल को पाषाण काल भी कहा जाता है।
- अल्मोड़ा जिले में स्थित लखु उड्यार और चमोली जिले में स्थित ग्वारख्या गुफा प्रागैतिहासिक काल के प्रमुख श्रोत हैं।
आद्य ऐतिहासिक काल
- 3000 ई. पूर्व से 600 ई. पूर्व के समयकाल को आद्य ऐतिहासिक काल जाता है।
- आद्येतिहासिक काल में उत्तराखंड की जानकारी पौराणिक ग्रंथो से मिलती है।
- ऋग्वेद में इसे में ‘देवभूमि’ या मनीषियों की ‘भूमि’ कहा गया है।
- ऐतरेय ब्राह्मण में इस क्षेत्र को उत्तर कुरु कहा गया है।
- कौशितकी ब्राह्मण में उत्तराखंड को ‘बद्रिकाश्रम’ के नाम से वर्णित किया गया है।
- महाभारत के आदि पर्व में उत्तर कुरु तथा दक्षिण कुरु, दो देशों का उल्लेख किया गया है
- स्कंद पुराण में कुमाऊं क्षेत्र को मानस खंड और गढ़वाल क्षेत्र को केदारखंड कहा गया है।
ऐतिहासिक काल
- 600 ई. पूर्व से वर्तमान
- अभिलेखों के अनुसार उत्तराखंड पर शासन करने वाली पहली राजनैतिक शक्ति कुणिन्द थी।
- कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र पर कुणिन्द, गुप्त, कत्यूरी, चंद, पवार, पाल आदि राजवंशों ने शासन किया।
- 1815 में ब्रिटिश सेना से हार के बाद सुगौली संधि के तहत गोरखाओं ने यह राज्य ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा।
- 9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग कर भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में उत्तराखंड का सृजन हुआ
- जनवरी 2007 में राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड किया गया।
भौगोलिक संरचना :
- राज्य का संपूर्ण क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के कुल क्षेत्रफल का 1.69% है।
- उत्तराखंड राज्य का ग्लोब पर विस्तार उत्तरी अक्षांश (North latitude) में 28º43’ से 31º27’ तथा पूर्वी देशांतर (East Longitude) में 77º34’ से 81º02’ के मध्य में स्थित हैं।
- पूर्व से पश्चिम तक उत्तराखंड राज्य की लम्बाई 385 किलोमीटर और उत्तर से दक्षिण तक इसकी चौड़ाई 320 किलोमीटर हैं।
- आकार: उत्तराखंड का आकार लगभग आयताकार है।
- प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 86 प्रतिशत भू-भाग पहाड़ी क्षेत्र है। 65% भूभाग वनों से आच्छादित है।
- राज्य के कुल क्षेत्रफल का 86.07% भाग (46035 वर्ग किलोमीटर) पर्वतीय तथा 13.93% भाग (7448 वर्ग किलोमीटर) मैदानी हैं।
- राज्य की राजधानी देहरादून में स्थित है। इसके अलावा ‘ग़ैरसेण’ यहाँ की ग्रीष्मकालीन राजधानी है।
- उत्तराखंड का उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थित है।
जनसांख्यिकी :
- प्रदेश की कुल जनसंख्या (2011 Census के अनुसार) 1,00,86,349 है।
- उत्तराखंड की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का .83% है।
- उत्तराखंड का जनसंख्या घनत्व 189 व्यक्ति प्रति किमी है।
- प्रदेश की साक्षरता दर 78.8% है।
- राज्य में विधानसभा की कुल सीटों की संख्या 70 है, जिसमें से 15 सीटें आरक्षित है (13 SC + 2 ST )
- लोकसभा की 5 तथा राज्यसभा की 3 सीट हैं।
- प्रशासन की दृष्टि से उत्तराखंड को 2 मंडलो ‘गढ़वाल और कुमाऊँ’ में विभाजित किया गया है।
- राज्य में कुल 13 ज़िले हैं, जिसमें से 7 गढ़वाल में और 6 कुमाऊँ में स्थित हैं।
- उत्तराखंड सरकार की अधिकारी वेबसाइट: https://www.uk.gov.in/
भाषाएं :
- उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा हिंदी और संस्कृत है।
- संस्कृत को दूसरी मुख्य आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है।
- उत्तराखंड में हिंदी, कुमाऊनी, गढ़वाली, जौनसारी आदि भाषाएं मुख्य रूप से बोली जाती हैं।
प्रतीक- चिन्ह :
- राजकीय वृक्ष- बुरांश
- राजकीय फूल- ब्रह्मकमल
- राजकीय पशु- कस्तूरी मृग
- राजकीय पक्षी- हिमालयी मोनाल
- राजकीय तितली- कॉमन पीकॉक बटरफ्लाई