कौसानी – Kausani :
पर्यटन और भ्रमण का शौकीन कोई भी व्यक्ति अगर उत्तराखंड के भ्रमण पर निकलता है तो कौसानी (Kausani) जरूर जाता है। कौसानी की सुंदरता ऐसी है कि इसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। कौसानी को लोग कुमाऊं के स्वर्ग के नाम से भी जानते हैं। यहां की प्राकृतिक छटा सभी का मन मोह लेती है, और यहाँ आने वाला हर व्यक्ति यहां की सुंदरता का कायल हो जाता है। यहां की शांत, सुरम्य और स्वच्छ आबोहवा हर किसी को दीवाना बना देती है।
कौसानी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली भी है। यहां पर ‘सुमित्रानंदन पंत विथिका’ के नाम से एक संग्रहालय और पुस्तकालय भी मौजूद है।
आकर्षण: Attraction
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले (Bageshwar district) में स्थित कौसानी उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल (Tourist Place) है। यह जगह समुद्र तल से लगभग 1890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पिंगनाथ नामक चोटी पर बसे इस कस्बे के चारों तरफ की प्राकृतिक सुंदरता अत्यंत मनमोहक होती है।
कौसानी से पहाड़ों के बीच उगते हुए सूर्य का नजारा और यहां से हिमालय पर्वत की बर्फ से ढकी चोटियों के दर्शन करने का अहसास बेहद ही आनंददायक होता है। यहां से हिमालय पर्वत की चोटियों चौखंबा, दमयंती, नंदाघुटी, त्रिशूल, नंदादेवी, नंदाकोट और पंचाचूली आदि पर्वतों के शानदार नजारे दिखाई देते हैं।
अनासक्ति आश्रम: Anashakti Ashram

कौसानी में स्थित अनासक्ति आश्रम भी यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। अनासक्ति आश्रम महात्मा गांधी की स्मृति में बनाया गया। 1929 में जब गांधी जी अपने भारत दौरे पर निकले थे तब वे कौसानी आए थे। कौसानी का वातावरण और यहां के प्राकृतिक दृश्यों ने गांधी जी का मन मोह लिया। यहां पर गांधीजी 14 दिन रहे और उन्होंने ‘अनासक्ति योग’ नामक पुस्तक की रचना की। गांधी जी की इसी कृति ‘अनासक्ति योग’ के आधार पर ही आश्रम की स्थापना हुई। ‘अनासक्ति योग’ के नाम पर ही इस आश्रम का नाम ‘अनासक्ति आश्रम’ पड़ा। यहां पर कौसानी आने वाले पर्यटकों के लिए रहने और ठहरने की व्यवस्था है।
कैसे पहुंचे?
रेल मार्ग से कौसानी जाने के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन तक रेल सुविधा उपलब्ध है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा अल्मोड़ा होते हुए कौसानी पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में कई टूर एण्ड ट्रैवल एजेंसीयों द्वारा यहां पर जाने और रहने-ठहरने के लिए पैकेज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।