कुमाऊं रेजीमेन्ट (Kumaun Regiment)
- कुमाऊं रेजिमेंट देश की सबसे पुरानी रेजिमेंट में से एक है। इसकी स्थापना 27 अक्टूबर, 1788 को हैदराबाद में हुयी थी
- कुमांऊँ रेजीमेंट का मुख्यालय उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले के रानीखेत में स्थित है।
- 1794 में इसे रेमंट कोर व बाद में निजाम कांटीजेंट का नाम दिया गया। इसमें बरार इंफैंट्री, निजाम आर्मी व रसेल ब्रिगेड को मिलाकर हैदराबाद कांटीजैंट बनाई गई।
- 1903 में इस बल का भारतीय सेना में विलय हुआ
- 1922 में इसे हैदराबाद रेजीमेंट नाम दिया गया
- इसे कुमाऊं रेजीमेन्ट का नाम 27 अक्टूबर 1945 को दिया गया और मई 1948 में इसका मुख्यालय आगरा से रानीखेत स्थान्तरित किया गया
- कुमाऊं रैजीमेंट ने मराठा युद्ध (1803), पिन्डारी युद्ध (1817), भीलों के विरुद्ध युद्ध (1841), अरब युद्ध (1853), रोहिल्ला युद्ध (1854) तथा भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम, झॉंसी (1857) युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
- कुमाऊँ रेजिमेंट ने 1947 पाकिस्तान तथा 1962 में चीन से युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अग्रणी मोर्चों पर रहकर देश की सीमाओं की रक्षा की
- 1948 में कश्मीर के बडगाम में मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में कुमाऊं रेजीमेंट ने पाकिस्तानी कबायली हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए
- मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत देश के पहला परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया
- 1962 में लद्दाख व नेफा क्षेत्र में 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में चीनी सेना के हौंसले पस्त किए
- मेजर शैतान सिंह को उनकी वीरता व पराक्रम के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया
- कुमाऊं रेजीमेन्ट की 13वी व 15वी बटालियन को भारतीय सेना में वीरो का वीर कहा जाता है
- 1988 में कुमाऊं रेजीमेन्ट पर डांक टिकट जारी किया गया
गढ़वाल रेजीमेन्ट (Garhwal Regiment)
- गढ़वाल रेजीमेन्ट का गठन 1887 को गोरखा रेजीमेन्ट की दूसरी बटालियन से किया गया
- रेजीमेन्ट द्वारा 1987 में लेंसडाउन में छावनी बनायीं गयी जहां आज गढ़वाल राइफल्स Garhwal rifles का रेजिमेंटल सेंटर है
- गढ़वाल राइफल्स की स्थापना का श्रेय सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी को जाता है
- 1879 में कंधार युद्ध में सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी ने अद्भुत वीरता और क्षमता का परिचय दिया था। इसके लिए उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ मैरिट’ से सम्मानित किया गया
- गढ़वाल राइफल्स के दरबान सिंह नेगी को प्रथम विश्व युद्ध में वीरता का प्रदशन करने के लिए 1914 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया
- गढ़वाल राइफल्स के ही गबरसिंह नेगी को 1915 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया
- पेशावर कांड के नायक वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली थे
- 23 अप्रैल 1930 को सेना ने पेशावर में निहत्थे अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने से मना कर दिया था। जिसके नायक वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली थे
- 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के जवानों नें दुश्मनों को खदेड़कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था
उत्तराखंड की प्रमुख सैन्य छावनियां व उनके स्थापना वर्ष
- अल्मोड़ा छावनी – 1815
- रानीखेत छावनी – 1871
- लेंसडाउन छावनी – 1887
- देहरादून छावनी – 1814
- चकराता छावनी – 1866
- नैनीताल छावनी – 1841
- रूड़की छावनी – 1853
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