नैनीताल ज़िला
सरोवर नगरी, झीलों के शहर (Lake City) के नाम से विश्वविख्यात नैनीताल (Nainital) उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का एक जिला है। यह कुमाऊं मंडल का मुख्यालय भी है। यह ज़िला यहाँ पर स्थित ‘नैनी झील’(Naini Lake) के लिए विश्वविख्यात है। इसी ‘नैनी झील’(Naini Lake) के नाम पर ही इस शहर का नाम ‘नैनीताल’ पड़ा। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक ‘नैनी झील’ तथा नैनीताल शहर की सुंदरता देखने के लिए खिंचे चले आते हैं।
पौराणिक मान्यतायें
नैनीताल शब्द मुख्य रूप से ‘नैनी’ और ‘ताल’ शब्दों से मिलकर बना है। नैनी का मतलब ‘नयन’ यानी आंख है जबकि ताल का अर्थ ‘झील’ है। झील का नाम ‘नैनी झील’ पड़ने के पीछे कई पौराणिक मान्यतायें प्रचलित हैं…
नैनी झील
शास्त्रों के अनुसार दक्ष प्रजापति द्वारा शिव के अपमान किए जाने से क्रोधित होकर देवी सती ने अपने आप को यज्ञकुंड के हवाले कर दिया था। यह सुनकर महादेव बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को तहस-नहस कर दिया और देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड पर भ्रमण करने लगे।
इस दौरान जहां-जहां पर भी देवी सती के अंग गिरे उस स्थान पर शक्तिपीठ स्थापित हो गए। मान्यता है, जिस स्थान पर देवी सती की आंख गिरी थी उस स्थान पर झील का निर्माण हुआ। देवी सती की आंख यानि नयन से निर्मित होने के कारण इस झील का ‘नैनी झील’ पड़ा।
त्रिऋषि सरोवर
एक अन्य मान्यता यह भी है कि एक बार ऋषि अत्रि, पुलस्त्य, और पुलह भ्रमण पर निकले थे। उन्हें पूरे नैनीताल में कहीं पर भी जल नहीं मिला। तब इस स्थान पर आकर उन्होंने अपने तपोबल से यहां पर एक गड्ढा किया और उसे मानसरोवर झील के जल से भर दिया। तब से यह झील इस स्थान पर स्थित है और यह मानसरोवर झील के समान पवित्र है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नैनीताल झील में डुबकी लगाता है उसे मानसरोवर झील में स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। स्कंद पुराण के मानसखंड में इस जगह को त्रिऋषि सरोवर के नाम से वर्णित किया गया है।
कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय
कालांतर में नैनीताल एक आधुनिक शहर में रूप में विकसित हो चुका है। यहां पर कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय भी स्थित है। नैनीताल जिला उत्तराखंड के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक है। जिले में स्थित हल्द्वानी शहर कुमाऊं मंडल का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है।
नैनीताल एक पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां पर अक्सर भूस्खलन होते रहते हैं। सन 1980 में भी नैनीताल में एक भूस्खलन हुआ जो कि नैनीताल के लिए वरदान साबित हुआ। भूस्खलन के कारण यहां पर एक विशाल मैदान बन गया। बाद में इसी विशाल मैदान में नैनीताल शहर विकसित हुआ।
प्रमुख पर्यटन स्थल
प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण पूरे जिले में पर्यटन की अपार संभावनायें मौजूद हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते और पर्यटन का आनंद लेते है। जिले में कई आकर्षक और मनमोहक प्राकृतिक झीलें मौजूद हैं इसीलिये नैनीताल को (Lake District of India) के नाम से भी जाना जाता है। जिले में स्थित झीलों में प्रमुख हैं : नैनी झील (नैनीताल), भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, सरियाताल।
नंदा देवी मंदिर, तल्लीताल और मल्लीताल, नैनीताल चिड़ियाघर, चाइना पीक(नैनापीक), गवर्नर हाउस, डेरोथी सीट और टिफिन टॉप, स्नोव्यू और हनी-बनी, रोप-वे, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंस (ARIES) शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
नैनीताल शहर के साथ साथ पर्यटक जिले के अन्य दर्शनीय और पर्यटन स्थलों का भी का आनंद ले सकते हैं। ये पर्यटन स्थल हैं: कैंची धाम, मुक्तेश्वर मंदिर, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, हल्द्वानी, रामनगर, भवाली, रामगढ़ और मुक्तेश्वर आदि
अगर आप नैनीताल भ्रमण का प्लान बना रहे है तो यहाँ जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम 34 किमी दूरी पर स्थित है। काठगोदाम से राज्य-परिवहन की बसों अथवा टैक्सी से आप नैनीताल पहुँच सकते हैं। हवाई मार्ग से नैनीताल जाने के लिए पंतनगर एयरपोर्ट (ऊधम-सिंह नगर ) करीब 55 किमी की दूरी पर स्थित है।
जनसांख्यिकी एवं अन्य जानकारी
जिला : नैनीताल | क्षेत्रफल : 4,251 |
मुख्यालय : नैनीताल | जनसंख्या : 954,605 |
तहसील : 09 | पुरुष : 493,666 |
विकास खंड: 08 | महिला : 460,939 |
पुलिस स्टेशन : 15 | जनसंख्या घनत्व : 225 |
विधानसभा क्षेत्र : 06 | वेबसाइट : https://nainital.nic.in/ |