टिहरी गढ़वाल
खूबसूरत पर्वत श्रंखलाओं शांत घाटियों के बीच बसा टिहरी, उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल का एक बेहद खूबशूरत जिला है। यह जिला प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों का एक अनूठा संगम है। टिहरी- गढ़वाल ‘टिहरी और गढ़वाल’ दो नामों को मिलाकर बनाया गया है। ‘टिहरी’ शब्द का ‘त्रिहरी’ है, यानि एक ऐसा स्थान जो तीन तरह के पापों (मनसा, वाचा, कर्मणा ) को हरता है।
यह जिला अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी के संगम के लिए जाना जाता है। अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी के संगम को हम देवप्रयाग के नाम से जानते हैं। टिहरी गढ़वाल जिले को यहां पर स्थित भारत के सबसे ऊंचे बांध, टिहरी बांध के लिए के लिए भी जाना जाता है। ‘टिहरी बांध’ भारत में अभी तक का सबसे ऊंचा बांध है।
टिहरी जिले में ही भगवान शिव का मंदिर ‘बूढ़ा केदार’ है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है की गोत्र हत्या के पापों से मुक्ति पाने के लिए पांडवों ने इसी स्थान से होते हुए स्वर्गारोहण हेतु हिमालय की ओर प्रस्थान किया था। इस स्थान पर भगवान शिव ने पांडवों को एक बृद्ध ब्राह्मण के रूप में दर्शन दिए। भगवान शिव के बृद्ध ब्राह्मण के स्वरूप में ही दर्शन के कारण इस स्थान को बृद्धकेदारेश्वर या बूढ़ा केदार के नाम से जाना जाने लगा ।
इतिहास:
ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार मालवा के राजकुमार कनकपाल एक बार ‘बद्रीनाथ धाम’ के दर्शन के लिए आए। कनकपाल यहां के राजा भानु प्रताप से मिले। भानु प्रताप उनसे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कनकपाल से अपनी बेटी का विवाह करवाया और अपना राज्य उन्हें सौंप दिया।
धीरे-धीरे कनकपाल और उनकी आने वाली पीढ़ियों ने समस्त गढ़वाल क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया और सैकड़ों वर्षो तक गढ़वाल क्षेत्र में शासन किया। 1803 में गढ़वाल क्षेत्र पर गोरखाओं के आक्रमण के बाद तत्कालीन राजा प्रद्युमन साह मारे गए और गढ़वाल क्षेत्र पर गोरखाओं का कब्जा हो गया।
प्रद्युमन शाह के पुत्र सुदर्शन शाह ने गढ़वाल क्षेत्र को वापस पाने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद ली। 1815 ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं को पराजित कर कुमाऊं, देहरादून और पूर्व गढ़वाल को ब्रिटिश साम्राज्य शामिल कर लिया। पश्चिमी गढ़वाल सुदर्शन शाह को दिया और यह क्षेत्र टिहरी रियासत के नाम से जाना जाने लगा। आजादी के बाद 1949 में टिहरी राज्य को उत्तर प्रदेश में मिलाकर इसे एक जिला घोषित कर दिया गया। 24 फरवरी 1960 में टिहरी जिले से एक नये जिले सृजन उत्तरकाशी के रूप मे हुआ।
आधुनिक टिहरी:
टिहरी जिला अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाना जाता है। भागीरथी और भिलंगना नदी पर स्थित ‘टिहरी डैम’ (Tihri Dam) भी टिहरी जिले में ही स्थित है। 260.5 मीटर ऊंचा यह डैम दुनिया के 10 सबसे ऊंचे डैमों में से एक है।
21 वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब टिहरी बांध का निर्माण कराया गया तो पूरा टिहरी शहर जलमग्न हो गया। लाखों लोग इससे प्रभावित हुए और कई लोगों को विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ा। ‘पुरानी टिहरी’ को खाली कर वहां के निवासियों को नई टिहरी में स्थानांतरित किया गया। जिले का मुख्यालय भी नई टिहरी में स्थापित किया गया।
पर्यटन और एडवेंचर
इसके अलावा भी टिहरी जिले में पर्यटन और एडवेंचर स्पोर्ट्स की काफी संभावनाएं हैं। पर्यटन के साथ-साथ पर्यटक यहां पर रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग आदि का भी लुफ्त भी उठाते हैं। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में धनोल्टी, बूढ़ा केदार, देवप्रयाग, टिहरी बांध, सेम मुखेम, गौतम ऋषि मंदिर, सुरकंडा देवी आदि शामिल हैं।
2018 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ‘ त्रिवेंद्र सिंह रावत’ ने इसी टिहरी झील पर मंत्रिमंडल की बैठक कर एक नया प्रयोग किया। उनके अनुसार “इस तरह के प्रयासों से उत्तराखंड में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है”। मुख्यमंत्री के इस निर्णय को काफी सराहना भी मिली। टिहरी झील पर्यटन और एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है।
नई टिहरी से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। ऋषिकेश सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
जनसांख्यिकी एवं अन्य जानकारी
जिला : टिहरी गढ़वाल | क्षेत्रफल : 3,642 Sq. Km |
मुख्यालय : नई टिहरी | जनसंख्या : 618,931 |
तहसील : 12 | पुरुष : 297,986 |
उपतहसील : 02 | महिला : 320,945 |
विकास खंड: 09 | जनसंख्या घनत्व : 170 |
विधानसभा क्षेत्र : 06 | वेबसाइट : https://tehri.nic.in/ |