फूलों की घाटी
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी की खूबसूरती विश्व विख्यात है। बर्फ से ढकी गगनचुंबी हिमालय पर्वत की गोद में रंग-बिरंगे फूलों से सजी ‘फूलों की घाटी’ यानी ‘वैली ऑफ फ्लावर (Valley of flowers)’ स्थित है। ‘फ्लावर वैली’ प्रकृति द्वारा धरती को दिया गया एक अनूठा, अमूल्य उपहार है।
‘वैली ऑफ फ्लावर’ की खोज:
वैली ऑफ फ्लावर की खोज 1862 में कर्नल एडमंड स्माइथ ने पुष्पवटी घाटी के रूप में की थी। दरअसल ‘रिचर्ड होल्सवर्थ’ रास्ता भटकने के कारण अपने साथियों के साथ इस स्थान पर पहुंचे। उनके एक साथी फ्रैंक स्माईथ को यह जगह अत्यंत भा गयी। इसके बाद फ्रैंक स्माईथ कई बार यहां आते रहे और उन्होंने इस पर एक पुस्तक भी लिखी। इसके बाद यह घाटी ‘वैली ऑफ फ्लावर’ के नाम से विश्व विख्यात हो गई। इसके बाद समय समय पर अन्य शोध्कर्ताओं ने यहाँ पर आकर इसको विश्व्वाख्यात बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट – World Heritage Sites:
पूरे विश्व भर के पर्यटकों और फूल प्रेमियों का आकर्षण फूलों की घाटी नंदा देवी अभयारण्य नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा है। इस घाटी की खूबसूरती और महत्व को देखते हुए यूनेस्को द्वारा 1982 में ही इसे ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ की सूची में शामिल कर दिया गया। करीब 87.50 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ की सूची में शामिल है।
500 से अधिक फूलों की प्रजातियां:
समूची घाटी में रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखते ही बनती है। यहां 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं। घाटी में तरह-तरह के परिंदों और उनके कलरव की ध्वनि पर्यटकों को मोहित कर देती है। ‘वैली ऑफ फ्लावर’ एक ऐसी जगह है जहां पर पर्यटक पर्यटन की विभिन्न गतिविधियों के अलावा एडवेंचर टूरिज्म (Adventure Tourism), ट्रैकिंग का भी लुत्फ उठाते हैं।
मुख्य पुष्प प्रजातियां :
‘वैली ऑफ फ्लावर’ राष्ट्रीय उद्यान में 500 से अधिक पुष्प प्रजातियां पाई जाती हैं। फूलों की घाटी में पाए जाने वाले फूलो में प्रमुख है- एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, तारक, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान, रोडोडेंड्रॉन कैम्पेनुलेटम(सफेद बुरांश) इत्यादि प्रमुख हैं।
दुर्लभ ब्रह्मकमल :
समस्त उत्तराखंड और पर्वतीय क्षेत्रों में जुलाई से अगस्त के मध्य चारों ओर हरियाली रहती है। इस दौरान तरह-तरह के फिर भी फूल भी खिलते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इस दौरान पूरी घाटी में भी फूल रंगोली की तरह सजे रहते हैं। यहां पर उत्तराखंड के राज्य पुष्प ब्रह्मकमल को आसानी से देखा जा सकता है। घाटी में ब्रह्मकमल के खिलने का समय सितंबर माह का होता है।
भ्रमण का समय:
हिमालय की गोद में बसे होने के कारण घाटी में हिमपात और बर्फबारी होती रहती है। पर्यटकों जून से अक्टूबर के मध्य ही वैली ऑफ फ्लावर राष्ट्रीय उद्यान में भ्रमण की अनुमति दी जाती है।
वैली ऑफ फ्लावर राष्ट्रीय उद्यान का प्रबंधन और देखरेख उत्तराखंड राज्य वानिकी विभाग (Uttarakhand State Forestry Department) और राष्ट्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार (national Ministry of Environment and Forests, India) द्वारा किया जाता है। प्रबंधन से की अनुमति लेने के बाद ही यहाँ पर पर्यटन का आनंद लिया जा सकता है।
कैसे पहुंचे फूलों की घाटी?
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ से गोविंदघाट पहुचना होता है। जोशीमठ से गोविंदघाट की दूरी 19 किलोमीटर है। गोविंदघाट से फूलों की घाटी की दूरी 13 किलोमीटर है जो कि पैदल चलकर तय करनी पड़ती है।